History of Raksha Bandha : राखी ने बचाई थी सिकंदर की जान

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रक्षाबंधन की जड़ें इतिहास (History of Raksha Bandhan) और पौराणिक कथाओं में इतनी गहरी हैं कि इसे एक युग से दूसरे युग में जोड़ने वाला उत्सव कहा जा सकता है। 

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति के सबसे खूबसूरत त्योहारों में से एक है, जो भाई-बहन के रिश्ते को न केवल प्रेम और स्नेह से बल्कि विश्वास और सुरक्षा के बंधन से भी जोड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार की जड़ें हजारों साल (History of Raksha Bandhan) पुरानी हैं और इसकी कहानियां इतिहास और पौराणिक कथाओं के पन्नों में गहराई से दर्ज हैं?

सबसे पुरानी राखी

दुनिया की सबसे पुरानी राखी (Oldest Rakhi) का जिक्र 300 BC में मिलता है, जब सिकंदर महान (Alexander the Great) भारत पर हमला करने आया था। 

इतिहास (History of Raksha Bandhan) बताता है कि सिकंदर की पत्नी रॉक्साना (Roxana) ने भारत के वीर योद्धा राजा पोरस (King Puru) को एक पवित्र धागा भेजा और अपने पति की जान बचाने का अनुरोध किया। पोरस ने इस वचन का सम्मान करते हुए युद्ध के मैदान में सिकंदर को नहीं मारा। यह घटना बताती है कि रक्षाबंधन केवल खून के रिश्ते में नहीं, बल्कि विश्वास के रिश्ते में भी बंध सकता है।

श्रीकृष्ण और द्रौपदी की अटूट डोर

महाभारत काल में, शिशुपाल के वध के दौरान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की ऊंगली कट गई और खून बहने लगा। द्रौपदी (Draupadi) ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके घाव पर बांध दिया। इस बहनत्व के भाव से प्रभावित होकर कृष्ण ने वचन दिया कि जब भी द्रौपदी पर संकट आएगा, वे उसकी रक्षा करेंगे। चीरहरण के समय यही वचन निभाते हुए उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई।

देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा

एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) अपने भक्त असुरराज बलि (King Bali) के वचन को निभाने के लिए उनके महल में द्वारपाल बनकर रहने लगे। देवी लक्ष्मी (Goddess Laxmi) अपने पति को वापस लाने के लिए बलि के महल में एक साधारण महिला के रूप में गईं और श्रावण पूर्णिमा के दिन उन्हें राखी बांधी (History of Raksha Bandhan)। 

असली पहचान जानने के बाद बलि ने विष्णु को वापस वैकुण्ठ भेज दिया, लेकिन विष्णु ने वादा किया कि वे हर साल चार महीने बलि के साथ रहेंगे। यही कथा बलिप्रतिपदा और रक्षाबंधन दोनों से जुड़ी मानी जाती है।

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रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं का भाई-बहन जैसा रिश्ता

मेवाड़ की रानी कर्णावती (Rani Karnavati) ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं (Emperor Humayun) को राखी भेजी और रक्षा का वचन मांगा। हुमायूं ने युद्ध छोड़कर मदद के लिए कदम बढ़ाए, लेकिन तब तक चित्तौड़ हार चुका था और रानी ने जौहर कर लिया था। 

फिर भी, हुमायूं ने मेवाड़ का राज्य उनके बेटे विक्रमजीत को लौटा दिया। यूं रक्षा बंधन का इतिहास (History of Raksha Bandhan) अपने में मुगल काल को भी समेटे हुए है।

यम और यमुना का अमर बंधन

एक अन्य कथा में यमराज (Yama) और उनकी बहन यमुना (Yamuna) का जिक्र मिलता है। जब यमुना ने यमराज को राखी बांधी, तो उन्होंने उसे अमरत्व का वरदान दिया और कहा कि जो भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा, वह भी अमरत्व का अधिकारी होगा।

संतोषी माता का जन्म

लोककथा के अनुसार, भगवान गणेश (Lord Ganesha) की बहन मानसा ने उन्हें राखी बांधी। उनके पुत्रों ने भी बहन की मांग की, तो गणेश ने अपनी पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के आशीर्वाद से संतोषी माता (Santoshi Maa) का जन्म किया।

आधुनिक समय में रक्षाबंधन का महत्व

आज के दौर में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Festival) सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं, बल्कि यह हर उस रिश्ते में मनाया जाता है, जिसमें सुरक्षा, स्नेह और विश्वास हो। कई जगहों पर महिलाएं पुलिस, सेना और यहां तक कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी राखी बांधती हैं, जो समाज की रक्षा करते हैं।

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में 'रक्षा' और 'बंधन' का सुंदर संगम है, जहां रक्षा का वचन और प्रेम का बंधन एक साथ जुड़ते हैं।

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